हर कहानी का इकतरफा दौर आते देखा है मैने ,पर मेरे ही हिस्से क्यूं?  इस बात से शिकायत है मुझे। शिकायत है तो दूर भी होनी चाहिए किसी न किसी बहाने से गुम होनी चाहिए लेकिन ये रहती है यहीं मेरी होके।

आखिरकार मान लेते है जिंदगी के कई पड़ावों में से इक ये भी है ,अब तक भी तो कई गुजरे भी है ।तो क्यों न इसे भी अपना लिया जाए हर बार की तरह। 



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