Mother daughter

 

मां की उपस्थिति और अनुपस्थिति का हमारे जीवन में क्या महत्व है इस बात को कुछ गहराई से सीखने का एक अनचाहा अवसर मिला । हां ... अनचाहा क्योंकि कौन ही इस एहसास को करीब से जानना चाहेगा। 


इसकी शुरुआत तो उस वक्त से ही हो गई थी जब वो घर से दूर किसी मर्ज से ठीक होने की उम्मीद में निकली थीं। जितना भय उस ओर था उतना ही इस ओर भी।

कहीं से किसी अच्छी सी खबर की उम्मीद सजाए उन दिनों का हर पहर बैठा था । किसी की अनुपस्थिति का वो मतलब समझाने को वो दौर एक शुरुआती पहर था । 

उन दिनों एक बेहद अनचाहा सा डर था जो जिंदगी की हर जांबाजी को एक पल में बिखरा दे। 

कुछ लम्हों की महक हमेशा हमारे जेहन में बसी रहती है ये लम्हा भी उन्ही में से एक है । 

मां के बिना गुजरे अब तो दिन ही अनेक है।


#ये_उन_दिनों_की_बात_है 

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